मुझको ऊँची मिले हवेली, या मिल जाए राजमहल...माखनलाल चतुर्वेदी की कविता
ग्राम-बरोतीकला, तहसील-जवा, जिला-रीवा (मध्यप्रदेश) से दयासागर कुशवाह जो 9 वी कक्षा का छात्र है माखनलाल चतुर्वेदी की एक कविता सुना रहे है:
मुझको ऊँची मिले हवेली, या मिल जाए राजमहल-
छप्पर की कुटियाँ हो चाहे, पेड़ो की छाया शीतल-
मेरे घर यह नहीं बनेंगे, चाहे हों कितने सुन्दर-
मेरी माँ जिस जगह रहेगी, वहीं बनेगा मेरा घर-
मुझको ऊँची मिले हवेली, या मिल जाए राजमहल-
छप्पर की कुटियाँ हो चाहे, पेड़ो की छाया शीतल...