लुटत हवे, लुटत हवे, लुटत हवे जी...गीत
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं :
लुटत हवे, लुटत हवे, लुटत हवे जी-
सरकार हर लुटत हवे राशन जी-
बदल बदल के संगी गा मन के मन ला लूटत हवे गा-
अणि बनी के सपना दिखाके करत हवे मनमानी गा-
जनता हवन भोला भला सरकार हवे खिलाड़ी गा-
मन के मन मा एक जुटता नही है...