ए भ्रष्टाचार सारे देश में बड़ा है तेरा चमत्कार...एक कविता
ए भ्रष्टाचार सारे देश में बडी है तेरा है चमत्कार
सारे देशवासी नित दिन तुझे करते हैं नमस्कार
कलयुग में सर्वत्र है तेरा राज
आपके बिना दफ्तरों में नहीं होता है कामकाज
कार्यालय में आवेदन देख बाबू अधिकारी मंद मंद मुस्कुराते हैं
घूस के चक्कर में महीनों घुमाते हैं
देश भर में भ्रष्टाचार कण कण में है विराजमान
जिसने इमानदारी दिखाई उसको कर देते हैं बदनाम
बिना मेहनत के खाना हों गयी है हमारी संस्कृति
भ्रष्टाचार से समाज में आ गयी है विकृति
भ्रष्टाचार को भगाने सारे देशवासी एकतरफा भागे हैं
जिनको भ्रष्टाचार करने का मौक़ा नहीं मिला भ्रष्टाचार रोकने में सबसे आगे हैं
भ्रष्टाचारी सारे साधन अपनाकर भोग रहें हैं सुख
स्वतन्त्रता सेनानी ज़िंदा होते, उनके दिल में कितना होता दुःख
सारे देशवासी भ्रष्टाचार को अंतरात्मा से जिसदिन निकाल देंगे फेंक
तभी भ्रष्टाचार से मुक्त हों जाएगा हमारा देश
राष्ट्रीयता की भावना जिस दिन सारे देश भर में जाग जाएंगे
स्वतन्त्रता का आनंद सारे देशवासी भोग पाएंगे
क़ानून का शिकंजा अब धीरे धीरे कस रहें हैं
भ्रष्टाचारी अब धीरे धीरे फंस रहें हैं
अधिकारी नेता ठेकेदार को भ्रष्टाचार करना लग रहा था खेल
अन्ना हजारे के आंदोलन से अब जाने लगे हैं जेल
लोकपाल विधेयक से भ्रष्टाचारी हों रहे चिंतित
उन्नति देश करेगा निश्चित
पतिराम ताराम, सुकमा, छत्तीसगढ़