पाती जो सजना की पाती, पाती खा मधुबन में दिलो के, धूढत पाती हारी...बुन्देली लोकगीत
ग्राम-कुढ़, पोस्ट-धनरा, जिला-शिवपुरी (मध्यप्रदेश) से अखिलेश कुमार पारस एक बुन्देली लोकगीत सुना रहे है :
की पाती जो सजना की पाती,छाती से चिपकाती-
पढ़ लेती कान्हा की बतिया, ना जियरा खिल पाती-
पाती जो सजना की पाती,पाती जो सजना की पाती-
पाती खा मधुबन में दिलो के, धूढत पाती हारी-
पाती मधुबन में, दिलो की पाती-
पाती जो सजना की पाती,पाती जो सजना की पाती-
कल कल कल्कई, मात पिता ये-
छलकर गो उत्पाती, पाती जो सजना की पाती...