हांथी आया झूम के धरती माँ को चूम के...बाल कविता
बलरामपुर (छत्तीसगढ़) से लाला मंजुला एक कविता सुना रही हैं :
हांथी आया झूम के धरती माँ को चूम के-
टांगें इसके मोटी है आँखें इसकी छोटी है-
खाना पत्ति खाती है लंबे सूंढ़ हिलाती है-
सुप्पा जैसे इसके कान देखो देखो इसके शान...