लोप्पा लोप्पा तिनमा दादन वेह्चिकान...गोंडी भाषा में कविता :
जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से सुमनलता अचला गोंडी में एक कविता सुना रही हैं, जिसे शेरसिंह आचला, मनीष हिड़को, सुगदू पोटाई, बालाराम सिन्हा, कु.मनोत्री उसेंडी, लेखसिंह कुलदीप, देवसिंह दर्रो, सोमारूराम गावड़े, प्रेमसिंह कुमेटी और एस.एल.ओगरे ने लिखा है :
लोप्पा लोप्पा तिनमा दादन वेह्चिकान – उचुह्नोर पेकाल, राजन संग उदस तिन्तोर-
ठाली तासयता पड़ेका,पड़ेका तासयता पेय्या-
हुड्डीलोर पेकाल,कड्स -कड्स दायतोर-
नडुम-नडुम मंडा, रंड वड़केंग टोंडा-
दड़िया मेंड रुपयानुंग,लक पर्रनह आयो – दोड़ बूमता लैया वाता,कोकोहने पीला एतिता – वर्रोड़ पेकाल कडिहच-कडिहच,गेतिल हुत्तयतोर – पूयले पुंगार तुन, कोय्य पर्रनह आयो...