दहेज निषेध क़ानून 1961 में बना पर अब भी जारी, इसे नष्ट करने के लिए कानून बनाना काफी नही...
ग्राम-राजापुर, पोस्ट-लड़वारी, जिला-टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) से मनोज कुशवाहा बता रहे हैं, दहेज प्रथा हमारे समाज में प्राचीन समय से व्याप्त एक संक्रामक बीमार की तरह है, जो हमारे समाज को नष्ट कर रहा है, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के अनुसार में उस समय दहेज़ का स्वरुप ऐसा नही था, बल्कि यह कन्या पक्ष द्वारा खुशी से वर पक्ष को दिया गया उपहार होता था, इस पर कोई दबाव नही होता था, सन 1961 के दहेज विरोधी अधिनियम के अनुसार दहेज़ लेना और देना दोनों ही दण्डनीय अपराध है लेकिन आज भी ये कुप्रथा चल रही है उनका कहना है कानून बनाने मात्र से सामाजिक बुराई खत्म नही हो सकती इसके लिए समाज को स्वयं ही आगे आना होगा| मनोज कुशवाहा@9516058859.