कलप-कलप मन रोये नोनी तोर बिना...छत्तीसगढ़ी गीत
ग्राम-परमेश्वरपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़ी) से हरिश्चंद्र एक छत्तीसगढ़ी गीत सुना रहे हैं :
कलप-कलप मन रोवय नोनी तोर बिना-
पाँव के पैरी ला दे दे चिन्हा-
भांटा नीरी बोयों सुग्घर बारी नइये गा-
बने रे पुरुष के सुन्दर नारी नइये गा-
लाली रे गुलाली फूलवारि नइये गा-
मन के मिलौना संगवारी नइये गा-
नवा हे मंदिर मा कलश नइये गा-
हाली के अवैया तोर दरस नइये गा...