हरे भरे खेतो में देखो, कैसा तनकर खड़ा बिज्जुका...कविता
ग्राम-करकेटा, पोस्ट-जोगा, थाना-उटारी रोड़, जिला-पलामू (झारखंड) से अखिलेश कुशवाह एक कविता सुना रहे हैं:
हरे भरे खेतो में देखो कैसा तनकर खड़ा बिज्जुका-
सिर पर काली वाली हाड़ी है चुने का टिक्का-
कुर्ता टीला फटा चिथडा तनिक ना इसे सलीका-
हांथ पांव लकड़ी के इसके पर मन का है कड़ा बिज्जुका-
देख बिज्जुकी मिल गाए भैस और साड़ भड़कते – पास ना फटे कोई पक्षी सूरत देख हडकते...