मोर टोपी पिन्हैया कहाँ गे, मोर भाषण देवइया कहाँ गे...छत्तीसगढ़ी रचना -
राजेन्द्र गुप्ता तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से एक स्वरचित रचना सुना रहे हैं-
मोर टोपी पिन्हैया कहाँ गे,मोर भाषण देवइया कहाँ गे-
अग्यारह लाख रुपया के मोटर में चढ़के गरीबी हटइया कहाँ गे-
मोर बैरी ला खोजत हंव,मोर दुश्मन ला खोजत हंव-
बैसाखू के सुध-बुध भुलागे,बैसाखू के सुध-बुध भुलागे-
ओखर चार खांडी के डोली हर कोशा बारी म घेरागे-
मोर टोपी पिन्हैया कहाँ गे,मोर भाषण देवइया कहाँ गे-
अग्यारह लाख रुपया के मोटर में चढ़के गरीबी हटइया कहाँ गे...