बिना बुलाये जे हर जाथे हंसाई होथे रे...छत्तीसगढ़ी गीत-
जिला-बेमेतरा (छत्तीसगढ़) से दिनेश चंद्राकर एक छत्तीसगढ़ी गीत सुना रहे हैं. जब आप किसी के घर कार्यक्रम में बिना बुलाये जाते है तो उसका क्या परिणाम होता है इस कविता के माध्यम से व्यक्त किया है:
बिन आदर के न्यौता दुःखदाई होथे रे-
बिना बुलाये जे हर जाथे हंसाई होथे रे-
हंसाई होथे रे भरमाई होथे रे-
महा मुनि के कथा हे भाई कथा हे वेद पुराई-
बिन आदर के न्यौता दुःखदाई होथे रे-
बिना बुलाये जे हर जाथे हंसाई होथे रे...