पुकारी है परोपकारी है नहीं चाहती मान सम्मान...प्रकृति पर कविता-
ग्राम-तमनार, रायगढ़, (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ीहारी एक कविता सुना रहे हैं :
पुकारी है परोपकारी है नहीं चाहती मान सम्मान – सबके ऊपर स्नेह लुटाती ममता मई एक समान – ठौर देती अन्न जल लुटती वो करुणा मई महान – गरीब अमीर सभी के ऊपर दृष्टि रखती एक समान – बहार, पर्वत, नदी, नाला वह संजोकर रखती – समय-समय पर वर्षा बनकर स्वयं बरस पड़ती – पशु पक्षी जलचर नभचर सभी उसी की संतान
सभी को उसने जीने का अधिकार दिया एक समान...