भारत की विलुप्त होती आदिवासी भाषाओं पर अध्ययन और उनको संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए...
ग्राम+पोस्ट-अंजनी, विकासखंड-मवई, जिला-मंडला (मध्यप्रदेश) से सग्गन शाह मरकाम बोल रहे है कि कुछ ऐसी आदिवासी भाषाएँ है जो विलुप्त होने के कगार पर है, जैसे अबुझमाडिया, कमाडी, गोटुल मुरिया, देवार, गुरकी परजी, पारसी, भतरी, सरगुजिया, कुडुक, गोंडी, डडानी माठिया, डोली, पंडो, बैगानी, मुंडा, हल्बी आदि. इन भाषाओ का सर्वेक्षण तो किया गया है पर उनको संवैधानिक मान्यता के लिए प्रयास करना चाहिए| इसके लिए उन समुदाय के सभी साथियों का प्रयास होना चाहिए इन पर गहन अध्ययन होना चाहिए और उनकी मांग है कि इन सभी आदिवासी भाषाओं को भारत सरकार द्वारा संवैधानिक मान्यता दी जानी चाहिए. सग्गन शाह मरकाम@9479003194.