सत्य के मुंह पर जब भी ताले होते हैं...गजल
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार महेश सुगम कटारे की गज़ल सुना रहे है :
सत्य के मुंह पर जब भी ताले होते हैं-
अच्छाई के देश निकाले होते हैं-
हुई ज़रा बरसात उफनने लगते हैं-
छोटे जितने नदिया नाले होते हैं-
लुका छिपी का खेल वही कर पाते हैं-
आज सियासत है ऐसे ही लोगों की-
जिनके तन उजले,मन काले होते हैं...