1965 तक 1 लाख 10 हजार प्रकार में से आज देश में धान की 3-4 हज़ार प्रजातियां ही बची हैं...
मंडला (मध्यप्रदेश) से जगदीश बीज बचाओ, कृषि बचाओ यात्रा से बोल रहे हैं यह यात्रा ५५ दिवसीय है और मध्यप्रदेश के ३५ जिलो में जाएगी। यात्रा का मकसद पारम्परिक बीजो को बचाना है उनके साथी बाबूलाल दहिया बता रहे हैं कि १९६५ तक देश में १ लाख १० हजार धान के बीजो के प्रकार थे उसमे से अभी देश में मात्र ३ से ४ हजार किस्मे ही बची है अगर इन्हें जल्द ही नही बचाया गया तो कुछ सालों में यह भी खत्म हो जाएगी. इस यात्रा का मकसद यही है कि जो देसी बीज बचे है उन्हें बचाया जाए जैसे लाल धान, कोदो, कुटकी, सवा, रागी, धान, कंगनी, कुटकी, मकई, ज्वार, बाजरा. बाबूलाल दहिया जी ने एक सौ दस किस्म की धान बचाकर रखी है, इस काम को आगे बढ़ाने की ज़रुरत है जगदीश@7697448583