इस समाज की क्या है मूरत, अनपढ़ हैं... शिक्षा पर कविता -
ग्राम-देवरी, पोस्ट-चंदोरा, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से कैलाश पोया से शिक्षा पर एक कविता सुना रहे हैं :
इस समाज की क्या है मूरत, अनपढ़ हैं-
माताएं-बहाने आखिर क्यों अनपढ़ हैं-
घर-घर में कर दो ऐलान-
लड़की-लड़का एक सामान-
इन पर कोई भी हमला न होने देंगे-
अपनी लोक कलाओं को न खोएंगे-
पढ़ा-लिखा जब होगा गावं-
तभी मिलेगा सुखी की छावं-
बच्चे हैं हिस्सा समाज का-
इनको भी आधार मिले-
शिक्षा का बल साथ अगर-
फिर आसान हर एक सफ़र है-
यही हम औरतों को हक़ मिलेगा-
एक जोर से दस टकों को परवाना खुलेगा-
इस समाज की क्या है मूरत अनपढ़ हैं...