वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है...कविता -
सुनील कुमार राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचना सुना रहे हैं:
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है-
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है-
अम्बर पर घन बन छायेगा-
ही उच्छवास तुम्हारा-
और अधिक ले जाँच-
देवता इतना क्रूर नहीं है-
थककर बैठ गये क्या भाई!
मंजिल दूर नहीं है...