देश की माटी, देश का जल...कविता
सुनील कुमार ,मालीघाट, जिला मुजफ्फरपुर (बिहार ) से रवीन्द्रनाथ ठाकुर की एक कविता सुना रहे हैं जिसका अनुवाद भवानीप्रसाद मिश्र ने किया था :
देश की माटी ,देश का जल-
देश की माटी देश का जल-
हवा देश की देश के फल-
सरस बनें प्रभु सरस बने-
देश के घर और देश के घाट-
देश के वन और देश के बाट-
सरल बनें प्रभु सरल प्रभु-
देश के तन और देश के मन-
देश के घर के भाई -बहन-
विमल बनें प्रभु विमल बनें...