मैंने देखा है तपता हुआ सूरज को...कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं :
मैंने देखा है तपता हुआ सूरज को-
मैंने देखा है समन्दर से उठते भाप को-
मैंने देखा ठिठुरते शिशिर मास को-
मैंने देखा है बरसते हुए बरसात को-
ये कुदरत का खेल है-
इसमें बहुत बड़ा मेल है-
यहाँ पर इनका उपकार है,
हर जीव-जन्तु का पुकार है-
जग में जब एक ही ऋतु होता
सुख संपदा का अभाव होता-
ना कोई बड़ा ना कोई छोटा होता...