ना छुरी रखता हु ना पिस्तौल रखता हूँ, गोंड का बेटा हूँ दिल में जिगर रखता हूँ...कविता-
तहसील-धनोरा, जिला-ग़ढचिरोली (महाराष्ट्र) से उत्तम अटला गोंड आदिवासी समाज की गौरव गाथा कविता के रूप में प्रस्तुत कर रहे है:
कौन कहता है बेकार है गोंड, अपने आप सरकार है गोंड-
तेज़ रणभूमि में, तेज़ तलवार है गोंड-
ना छुरी रखता हूँ, ना पिस्तौल रखता हूँ – गोंड का बेटा हूँ, दिल में जिगर रखता हूँ-
यारी करे तो यारो के यार है गोंड, और दुश्मन के लिए तूफ़ान है गोंड़-
तभी तो दुनिया कहती है, बाप रे खतरनाक है गोंड-
जिसके पास समाज के लिए वक्त नही, उसकी रगों में पानी है खून नही...