एक छोटे से झरोखे से झांकती...महिला दिवस पर कविता
कानपुर (उतरप्रदेश) से के एम भाई महिला दिवस के अवसर में एक कविता सुना रहे है और कह रहे हैं साथियों महिला दिवस की शुभकामनाओं के साथ एक रुख अपने घर के उन झरोखे की तरफ भी करियेगा जो सदियों से खुले आसमान का इन्तजार कर रहे हैं :
एक छोटे से-
झरोखे से झांकती-
फड़ फड़ाते हुए-
चंद छड़ों में उड़ जाती-
ची ची करते करते-
एक मीठा गीत-
गुन गुना जाती-
अपने ही लफ्ज़ों में-
प्रेम का रस-
बहा कर-
रंग-बिरंगे सुरों में-
प्रेम सुधा-
बरसा जाती है वो-
नटखट अंदाज से-
मेरा दिल छू जाती-
अपनी एक झलक से-
मेरा सारा दर्द-
मिटा जाती है वो-
चंद अफसानों से-
मेरी सारी दुनिया-
सजा जाती-
एक मीठी खुशबू-
बहा कर-
रंग- बिरंगे सुरों में-
प्रेम- सुधा-
बरसा जाती है वो-
प्रेम- सुधा-
बरसा जाती है वो...