आइना कतरा रहा है कुछ तो है...गजल -
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक गजल सुना रहे हैं :
आइना कतरा रहा है कुछ तो है-
राग मीठा गा रहा है कुछ तो है-
धुप को क्यों पसीना आ रहा है-
खौफ क्यों घबरा रहा है कुछ तो है-
कूक उठती थी कोयल जो बाग़ में-
छोड़ कर अल्हड पतंगी क्यों-
बंदूके लहरा रहा है कुछ तो है-
मखमली सेजो पे जो सोया रहा-
तख़्त के आगोश में खोया रहा-
पालकीरथ में सदा था सवार-
आज पैदल जा रहा है कुछ तो है-
सरफरोशी की तमन्ना दिल में थी-
बस निगाह जीत का मंजिल में था-
पगों पे नजर टिकाये है सदा-
और सर खुजला रहा है कुछ तो है-
हमसफ़र हमनिवाला था मेरा-
संग हसने रोने वाला था मेरा-
अजनवी लगता है जाने आज क्यों-
दिल डूबा जा रहा है कुछ तो है
तुझपे हर ख़ुशी कुर्बान
तेरे जीने का सभी समा-
घर के कोने पर पड़ा बेजान सा-
खुद से बतिया रहा है कुछ तो है-