अवा रे-अवा रे सोना रूपा डीलवा झुकाब रे...झारखंडी लोकगीत
झारखण्ड से हेमंत टोप्पो एक गीत सुना रहे है. इस गीत के माध्यम से वे किसान भाई-बहनों
को खेती करने के लिए आमंत्रित कर रहे है:
अवा रे-अवा रे सोना रूपा डीलवा झुकाब रे-
रे अवा सोना रूपा हिरा-
अवा रे सोना रूपा डीलवा झुकाब रे-
मुर्गा बोले मुर्गा बोले-
मुर्गा बोले उठ तो किसान रे-
खेत बारी चालू करब नर नारी काम रे-
गावं के गोरी गावं के गोरी-
गावं के गोरी निहर निहर कटे लागल धान रे-
हाथे हसुवा धरी पावे है शान रे...