राह नही मिली है, अब चलने को...कविता
ग्राम-भातखावा चाय बागान, जिला-आलीपुरद्वार (पश्चिम बंगाल) से सोनाली महाली
लडकियों को केन्द्रित रखते हुए ‘मेरी राह’ कविता सुना रही है :
राह नही मिली है, अब चलने को-
चलती जा रही हूँ, अब मै कभी न रुकने को-
आरजू मिली नही है,अब मचलने को-
ज़ोश नही चड़ी अब, कुछ करने को-
पंछी बनके उड़ने लगी हु मै-
आशमा को अब छुने लगी हूँ मै-
ऐसा लगता है हर राह को, इंतज़ार है मेरा...