स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ल किस्सा पुरबिया के उस्ताद महेन्द्र मीश्र के बतिया के बारे में बता रहे ह
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार महेन्द्र मिश्र के बारे में जानकारी दे रहे है – अंग्रेजों के अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करे खातिर पुरबिया के सम्राट महेन्द्र मिश्र
जाली नोट भी छापते पकडाने के बाद बक्सर जेल में रखा गया है,कहा जाता है की उनको छपरा, मुज्जफरपुर, बनारस, पटना, कलकत्ता के सब लोग एकजुट व एकमत होकरके ब्रिटिश सरकार से अनुरोध कर रहे हैं की महेद्र मिश्र को छोड़ने हेतु वे लोग कितना भी पैसा देने के लिए तैयार है. क्योकि महेंद्र मिश्र हमारी गीत संगीत के ज्ञाता है उनके बिना गीत संगीत सब ख़त्म हो जायेगा, महेंद्र मिश्र ने जेल में ही रख कर के रामायण का भोजपुरी में अनुवाद कर दिए. उनकी इसी बात को देख कर के जेलर उनको छोड़ देते हैं ,जेल से छूटने के महेंद्र मिश्र आजादी के सूरज नही देख पाए. और 26 अक्टूबर सन् 1946 के दिन माया के दुनिया को छोड़ कर के महेंद्र मिश्र सदा के लिए हमारे बिच से चले गये |