बिल्ली ने खोली स्कूल...बाल कवितायेँ
गीता ठाकुर मालीघाट मुजफ्फरपुर (बिहार ) से कुछ बाल कवितायें सुना रही हैं:
बिल्ली ने खोली स्कूल-
लेके बैठ गई एक रुल-
माफ किया जब पूरी फीस-
चूहे आए पंद्रह बीस-
उल्टा सीधा पाठ पढ़ाई-
चुपके से एक चूहा खाई-
जाने किसने खोली पोल-
शोर किया और पीटा ढ़ोल
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पैसा-पैसा होते तो चार चने लाते-
चार में से एक चना तोते को खिलाते-
तोते को खिलाते तो दाँत टूट जाते-
दाँत टूट जाता तो बड़ा मजा आता...
पैसा पैसा होता तो चार चने लाते-
चार में से एक चना घोड़े को खिलाते-
घोड़े को खिलाते तो पीठ पर बैठाता-
पिठ पर बैठाता तो बड़ा मजा आता-
पैसा पैसा होता तो चार चने लाते-
चार में से एक चना चूहे को खिलाते-
चूहे को खिलाते तो दाँत टूट जाता-
दाँत टूट जाता तो बड़ा मजा आता...