हरि बिना निचटे हरान्जिला रे...सरगुजिया लोकगीत
कैलाश सिंह पोया ग्राम-देवरी, जिला-सूरजपुर, छत्तीसगढ़ से एक सरगुजिया लोकगीत सुना रहे हैं, इस गीत को भादों के महीने में करमा का पेड़ लगाकर उसके आगे करमा नृत्य की शैली में गाते और नाचते हैं – हरि बिना निचटे हरान्जिला रे-
बिना मछरी पानी बिना धान-
एक ठे पुतरा बिना कलपे परान जिला-
बात बाते बात बाढ़े तरकी से बाढ़े कान-
तेल-फुलेल से लरका बाढ़े-
पानी से बाढ़े धान-
हरि बिना निचटे हरान्जिला रे...