वो मिलता है मुझे कभी सड़कों पर, तो कभी खाली फुटपाथ पर...कविता
के.एम. भाई कानपुर (उत्तरप्रदेश) से विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर एक कविता सुना रहे हैं :
वो मिलता है मुझे कभी सड़कों पर-
तो कभी खाली फुटपाथ पर-
कभी नंगे बदन,तो कभी बहते आंसुओं संग-
कभी कोयले के ढेर पे-
तो कभी आलिशान बंगलों के मुंडेर पे-
वो मिलता है मुझे कभी चमचमाते जूतों तले-
तो कभी चाबुक की नोक तले-
कभी जूठे बर्तनों के बीच-
तो कभी टूटते अरमानों बीच-
वो मिलता है मुझे कभी मासूम सिसकियों के बीच-
तो कभी भूखे पेट के साथ-
कभी एक टुकड़ा रोटी की आश में-
तो कभी एक पल के प्यार में-
वो मिलता है मुझे एक पल की ख़ुशी के इंतजार में-
तो कभी एक सच्चे मित्र के इन्तजार में...